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कुछ भी नहीं !!


अंधेरों के लिए
रात को दोष मत दीजै
रातें सूरज की मज़बूरी के सिवा कुछ भी नहीं !!
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ये अंधरे नहीं
सुकूँ के लिए मौका है
इस बेहतर दुनियां में दवा कुछ भी नहीं !!
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जब भी होता है अँधेरा
तो दीप जगते हैं
मायने रोशनी के तब सभी समझते हैं !
ज़िंदगी *निशीथ के सिवा कुछ भी नहीं !!

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