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1 Comments:
इस तबस्सुम को ग़मों में लुटा मत देना
कोई आंसू का मोती आँखों से गिरा मत देना..
ख़ाब में आये हैं दोस्त थोडा वक़्त निकालकर
गुफ्तगुं ज़ारी है नींद से जगा मत देना..
शहजादा कोई आएगा है उम्मीद उसको भी
ज़माने की हकीक़त उसे बता मत देना..
घोंसले गिर चुके इनके तरक्की की आंधी में
जो बेठे हों पंछी मुंडेर पर उड़ा मत देना..
इस बज़्म में 'शाकिर' तमाशाबीन बहुत हैं
हाल -ए-दिल अपना खुद को भी सुना मत देना..
-शाकिर खांन
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