सुन्दर सुन्दर सपने थे
क्या कुछ सोचा करते थे
सावन की बरसातो में
रोशन चान्दनी रातो में
खवाब् होवे वो बातें सब
घोर होवे वो राते सब
सुन्दर सपना टूट गया
था जो साथी रूठ गया
अब दिल को बहलाते हैं
उसको ये समझाते हैं
सपने तु बस सपना है
सपने टूट ही जाते हैं
सपनो का फिर रोना क्या
रो रो जीवन खोना क्या
गीत ख़ुशी के गाता चल
हर गम को ठुकराता चल
भुल जा बीती बातो को
रोशन चान्दनी रातो को
पर दिल तू बस दिल ही है
ज़िदी नादान पागल है
कितना ही समझाओ इसको
कितना ही बहलाओ इसको
भुले ना ये बीती बातें
हर तरफ़ हैं बिखरी यादें
यादो का आज़ाब है तारि
अश्को का सेलाब है जारी
गम खुशिओ से जीत गया है
सुख का सावन बीत गया है
रात गुज़ारना बाकी है
इक क़तरा हूँ उस की आन्ख् का ....
के .. जब वोह सोचे.. और मैं उसे मिल जाउ ... !!!
आन्सू मेरे यूँ ना आँखों से टपका करो
यूँ ना मेरे राज़
सब को बताया करो
चुप चाप से तन्हाई में
इक वीरान् सी डगर् पर
इक उदासियो का मकान बनाया करो
सारी शाम यूँ बे-रंग चेहरा लेकर सब के सामने ना जाया करो
कोई देख लेगा तो क्या होगा
किसी को ख़बर ना लगे
हमारी इस बेबसी का
बस अपनी ही दुनिया में
खो जाया करो
ज़माने के सारे रंग
इन होन्ठो पर सजा लिया करो
ज़िन्दगी के सारे दुःख
अपने दिल में छुपा लिया करो
ये तुम्हारे आन्सू
मोती जैसे हैं
इन्हे यूँ बात बे-बात पर
ज़ाया ना किया करो
वैसे भी उदास होके
क्या मिलता है
दिल को दुखा के
क्या मिलता है
बस ज़िन्दगी को
अपनी आँखों से नही
दुसरो की आन्खो से देखा करो
दिल रोता है तो रोने दिया करो
मगर अपनी आन्खो को ना छल्काया करो
वक़्त एक सा कहाँ होता है
आज अच्छा कल बुरा
बस ज़िन्दगी के सारे रंग
अपनी आन्खो में सजाया करो
मगर कभी अपनी पलको से
अश्क ना बहाया करो..
क्या कुछ सोचा करते थे
सावन की बरसातो में
रोशन चान्दनी रातो में
खवाब् होवे वो बातें सब
घोर होवे वो राते सब
सुन्दर सपना टूट गया
था जो साथी रूठ गया
अब दिल को बहलाते हैं
उसको ये समझाते हैं
सपने तु बस सपना है
सपने टूट ही जाते हैं
सपनो का फिर रोना क्या
रो रो जीवन खोना क्या
गीत ख़ुशी के गाता चल
हर गम को ठुकराता चल
भुल जा बीती बातो को
रोशन चान्दनी रातो को
पर दिल तू बस दिल ही है
ज़िदी नादान पागल है
कितना ही समझाओ इसको
कितना ही बहलाओ इसको
भुले ना ये बीती बातें
हर तरफ़ हैं बिखरी यादें
यादो का आज़ाब है तारि
अश्को का सेलाब है जारी
गम खुशिओ से जीत गया है
सुख का सावन बीत गया है
रात गुज़ारना बाकी है
इक क़तरा हूँ उस की आन्ख् का ....
के .. जब वोह सोचे.. और मैं उसे मिल जाउ ... !!!
आन्सू मेरे यूँ ना आँखों से टपका करो
यूँ ना मेरे राज़
सब को बताया करो
चुप चाप से तन्हाई में
इक वीरान् सी डगर् पर
इक उदासियो का मकान बनाया करो
सारी शाम यूँ बे-रंग चेहरा लेकर सब के सामने ना जाया करो
कोई देख लेगा तो क्या होगा
किसी को ख़बर ना लगे
हमारी इस बेबसी का
बस अपनी ही दुनिया में
खो जाया करो
ज़माने के सारे रंग
इन होन्ठो पर सजा लिया करो
ज़िन्दगी के सारे दुःख
अपने दिल में छुपा लिया करो
ये तुम्हारे आन्सू
मोती जैसे हैं
इन्हे यूँ बात बे-बात पर
ज़ाया ना किया करो
वैसे भी उदास होके
क्या मिलता है
दिल को दुखा के
क्या मिलता है
बस ज़िन्दगी को
अपनी आँखों से नही
दुसरो की आन्खो से देखा करो
दिल रोता है तो रोने दिया करो
मगर अपनी आन्खो को ना छल्काया करो
वक़्त एक सा कहाँ होता है
आज अच्छा कल बुरा
बस ज़िन्दगी के सारे रंग
अपनी आन्खो में सजाया करो
मगर कभी अपनी पलको से
अश्क ना बहाया करो..
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